चित्रा नक्षत्र का फल

चित्रा नक्षत्र का फल

आकाश मण्डल के 27 नक्षत्रों में चित्रा नक्षत्र का 14वां स्थान है। इस नक्षत्र में एक प्रधान तारा होता है जिसकी आकृति मोती या मणि के समान दिखाई पड़ती है। यह चमकता हुआ तारा होता है। इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता विश्वकर्मा और लिंग स्री है। इस नक्षत्र के स्वामी ग्रह मंगल हैं, तथा यह नक्षत्र बुध ग्रह की राशि में आता है। चित्रा शब्द से उज्जवल, चितकबरा, रुचिकर या अदभुत अर्थ को दर्शाता है। कुछ विद्वान इसका संबंध चित से भी मानते हैं। चैत्र माह की पूर्णिमा को चंद्रमा चैत्र नक्षत्र पर गोचर करता है। चित्रा नक्षत्र के नक्षत्रपति मंगल हैं अत: इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति मंगल ग्रह से प्रभावित होते है। चित्रा नक्षत्र का व्यक्ति साहस, ऊर्जा, और उग्र स्वभाव का हो सकता है। इस जन्म नक्षत्र के व्यक्ति में उत्तम वक्ता बनने के गुण विद्यमान होते है। वह पत्रकार बन सम्मान और धन प्राप्त कर सकता है। बुद्धि और बल का यह मेल व्यक्ति को व्यापार के क्षेत्र में सफल होने का सामर्थ्य देता है।

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वैदिक ज्योतिष के अनुसार चित्रा वैभव का प्रतीक बड़ा उज्ज्वल चमकीला नक्षत्र है। यह आध्यात्म का नक्षत्र है। चित्रा का मुख्य उदेश्य मोह-माया पर विजय प्राप्त करना है। वरःमिहिर" (वराहमिहिर) इसे आनंददायक चमकीला नक्षत्र कहते है। इसमें हीरे-मोती के सभी गुणदोष पाए जाते है। यदि चन्द्र गम्भीर रूप से पीड़ित हो, तो सत्य को मरोड़ा जा सकता है। सृजन का सार, परिवर्तित, शानदार, जादू कला, दृश्य प्रसन्न चित्रा के गुणदोष है।

चित्रा नक्षत्र के पहले दो चरणों में उत्पन्न जातक की जन्म राशि कन्या, राशि स्वामी बुध, अंतिम दो चरणों में जन्म होने पर जन्म राशि तुला तथा राशि स्वामी शुक्र, वर्ण वैश्य, वश्य नर, योनि व्याघ्र तथा नाड़ी मध्य है। यदि प्रथम दो चरणों में जन्म हुआ है तो जातक पर जीवनभर मंगल और बुध का असर रहेगा और यदि अंतिम चरणों में हुआ है तो जातक पर मंगल और शुक्र का प्रभाव बना रहेगा।

चित्रा नक्षत्र के जातक का व्यक्तित्व -

चित्रा नक्षत्र के प्रथम दो चरण कन्या राशि के अंतर्गत आते हैं। जिसका राशि स्वामी बुध एवं नक्षत्र स्वामी मंगल है। यदि आपका जन्म इस नक्षत्र के पहले दो चरणों में हुआ है तो आप सुंदर नेत्र एवं आकर्षक आकृति वाले, बातचीत करने में चतुर, विनोद प्रिय, व्यावहारिक, स्पष्टवादी, उद्यमी, तेज मिजाज, सुंदर वस्त्र एवं आभूषण प्रिय, ईमानदार प्रकृति, लाल एवं हरे रंग के प्रिय होते हैं। आप कर्मठ व मिलनसार हैं और सभी के साथ आपके बेहतर सम्बन्ध हैं। जिससे भी आप मिलते हैं खुलकर मिलते हैं। वाक्पटुता आपकी विशेषता है और रिश्तों में आप हमेशा तालमेल बनाने की कोशिश करते हैं। रिश्तों के प्रति आप भावुक हैं लेकिन अपने लाभ-हानि को अच्छी तरह समझते हैं; इसलिए व्यावहारिक जीवन में भावुकता को हावी नहीं होने देते। ऊर्जा से आप हमेशा भरे रहते हैं और साहस भी आपमें कूट-कूट कर भरा हुआ है। किसी भी काम से आप पीछे नहीं हटते और अपनी ऊर्जा-शक्ति से कार्य को पूरा करके ही दम लेते हैं। विपरीत स्थितियों से घबराना तो आपने सीखा ही नहीं है, बल्कि पूरे साहस से आप उनका सामना करते हैं और कठिनाईयों पर विजय हासिल करके आगे बढ़ते हैं। कुछ विचित्र काम करने के आप इच्छुक हैं और निठल्ला बैठना तो आपको बिलकुल पसंद नहीं है। आप काम में कोई टाल-मटोल नहीं करते और जो भी काम करना होता है उसे जल्दी-से-जल्दी पूरा कर देते हैं। सदा व्यस्त रहना आपको पसंद है और एक काम पूरा करते ही आप तुरंत दूसरा काम करना शुरू कर देते हैं; शायद विश्राम शब्द से आप अनजान हैं। अपनी ज़िद के आप पक्के हैं। नौकरी की बजाय आप व्यवसाय को अधिक महत्व देते हैं क्योंकि व्यावसायिक मामलों में आपका दिमाग़़ ख़ूब चलता है। अपने इसी व्यावसायिक दिमाग़़ के कारण आप ख़ूब तरक़्क़ी करेंगे। बोलने की कला में आपको महारत हासिल है, मगर क्रोध से बचना चाहिए और संयम से काम लेना चाहिए। आप प्रैस, प्रकाशन, कर्मचारी, अदालती मामलों, विद्युत् उद्योग, सुरक्षा विभाग, गणित, चिकित्सा, कम्प्यूटर, लेखनादि कार्यों से सम्बन्ध रहता है।

चित्रा नक्षत्र के अंतिम दो चरण तुला राशि के अंतर्गत आते हैं। जिसका राशि स्वामी शुक्र एवं नक्षत्र स्वामी मंगल है। यदि आपका जन्म इस नक्षत्र के अंतिम दो चरणों में हुआ है तो आप कलात्मक अभिरुचियों वाले, संगीत प्रेमी, उच्चाभिलाषी, महत्तवकांक्षी, श्रृंगार प्रिय, आने वाले समय का प्रत्यक्षानुमान लगाने में सक्षम, आदर्शवादी एवं आकर्षक व्यक्तित्व के धनि होते हैं। तकनिकी और कलात्मक दोनों प्रकार के कार्यों में कुशल होते हैं। विपरीत योनि के प्रति विशेष आकर्षण अनुभव करते हैं। आप जल्दी निराश नहीं होते हैं क्योंकि आशावादी होना आपका एक अहम गुण है। धन-दौलत जमा करने के आप शौक़ीन हैं तथा विलासिता और भौतिकतापूर्ण जीवन जीना आपको पसंद है। कला और विज्ञान में आपकी सहज रुचि है। दुर्बलता छिपाने में आप कुशल हैं इसलिए अपनी गरिमा को बनाए रखना आपको आता है। आपकी अंतर्ज्ञान-शक्ति काफ़ी अच्छी है इसलिए आपके पूर्व-अनुमान अक्सर सही निकलते हैं। ज़िद की वजह से जीवन में आपको विरोध का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन यह विरोध और बाधा ही आपकी प्रगति में सहायक होती है। समाज के वंचित वर्गों के प्रति भी आपकी सच्ची सहानुभूति है और उनके उत्थान के लिए भी आप हमेशा तैयार रहते हैं। 32 वर्ष की आयु तक आपके जीवन में कुछ संघर्ष मुमकिन है परन्तु 33 वर्ष की आयु से आप विशेष प्रगति करना शुरू करेंगे। पिता से आपको विशेष स्नेह और संरक्षण प्राप्त है। विज्ञान में आपकी रुचि होगी और संभव है कि इसी क्षेत्र में आप शिक्षा भी प्राप्त करें। आप आकर्षक, स्वतंत्रताप्रिय हैं, परन्तु कभी-कभी ग़ैर-ज़िम्मेदार व्यवहार भी कर सकते हैं। आपकी रूचि कम्पयूटर, ज्योतिष, वकालत, नाट्य सम्बन्धी व्यवसाय, सुगन्धित, श्रृंगार, संगीत, कॉस्मेटिक और प्रकाशन सम्बंधित व्यवसाय इसी नक्षत्र के अंतर्गत आते हैं।

कार्य-व्यवसाय -

चित्रा नक्षत्र में मंगल का युति संबंध व्यक्ति को अनेकों साहसिक कार्यक्षेत्रों से जोडता है। जातक पुलिस या सेना में कार्यरत हो सकता है। बुध की राशि में होने के कारण व्यक्ति वकील बनने की योग्यता भी रखता है। मंगल के साथ चन्द्र या शुक्र हों, तो व्यक्ति आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होता है। नक्षत्र के अनुसार देखे तो व्यक्ति में शिल्पकार बनने के गुण होते है। चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को हाथ के काम करने में विशेष सफलता प्राप्त होती है। यह नक्षत्र व्यक्ति को कला और ग्राफिक्स के क्षेत्रों से जोड़ता है। व्यक्ति गीत-संगीत में रुचि लेता है और इन क्षेत्रों में विशेष ज्ञान अर्जित करने का प्रयास करता है। गहनों के डिजाईन बनाना और लेखन के क्षेत्र में कार्य करना, चित्रा नक्षत्र के व्यक्तियों के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आता है। ये लोग वास्तुविद, फ़ैशन डिज़ाइनर, मॉडल, सौन्दर्य प्रसाधन से जुड़े कार्य, प्लास्टिक सर्जरी, शल्य चिकित्सक, फ़ोटोग्राफ़र, ग्राफ़िक डिज़ाइनिंग, गीत-संगीत रचनाकार, आभूषण निर्माता, पेंटर या चित्रकार, पटकथा लेखक, उपन्यासकार, नाटक-सिनेमा का सेट तैयार करने से जुड़े कार्य, कला निर्देशक, सिनेमा व नाटक से जुड़े कार्य, दवाइयों से जुड़े कार्य, विज्ञापन से जुड़े कार्य आदि करके सफल हो सकते हैं।

पारिवारिक जीवन-

परिवार में माता-पिता और भाई-बहनों के साथ विशेष स्नेह रखता है। भाई बंधुओं के प्रति भी आपका व्यवहार प्रेम से भरा होता है। पर आपमें कुछ शंका करने की प्रवृत्ति भी होती है। आप दूसरों के आचरण पर बहुत जल्दी विश्वास नहीं करते हैं। जातक को अपने पिता से प्रेम और लाभ की प्राप्ति होती है। इस नक्षत्र के जातक के पिता पृथक रुप से जीवन व्यतीत कर सकते हैं। जातक को माता से बहुत लगाव होता है, और उनसे जातक को लाभ प्राप्त होता है। हो सकता है नौकरी या व्यवसाय के चलते आपको अपने परिवार से दूर जीवन बिताना पड़े। जिस घर में आपका जन्म हुआ है उस मकान को छोड़कर आप कहीं और रहेंगे इसलिए माता-पिता से पृथक होकर जीवन बिताना पड़ सकता है। वैवाहिक जीवन में लड़ाई-झगड़ों से आपको सदैव बचना चाहिए अन्यथा जीवनसाथी से मन-मुटाव रह सकता है।

स्वास्थ्य-

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यह भचक्र का चौदहवाँ नक्षत्र है और चित्रा नक्षत्र को मंगल के कारण पित्त प्रधान माना जाता है। इस नक्षत्र के पहले व दूसरे चरण में उदर का निचला भाग, खाज-खुजली त्वचा रोग आदि की संभावना रहती है, तीसरे व चौथे चरण में गुरदे, कटि क्षेत्र, हर्निया, मेरुदंड का निचला भाग, गुर्दे की पत्थरी, उच्च रक्तचाप, कामुकता, मूत्राशय, नसों की गति आदि आती है। इसी के साथ माथा, मस्तक और गर्दन को चित्रा नक्षत्र का अंग माना जाता है। इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर इन्हीं अंगों में कष्ट होता है।

सकारात्मक पक्ष :-

चित्रा में जन्म लेने वाला संतोषी, धनवान, देवताओं और ब्राह्मणों का भक्त होता है। चित्रा नक्षत्र के जन्म होने से जातक उच्चाभिलाषी, महत्वाकांक्षी, साहसी, साफ दृष्टियुक्त होता है। इस नक्षत्र के अंतर्गत जन्म लेने वाले लोग ऊर्जावान होते हैं। ये बुद्धिमान और शांतिप्रिय होते हैं। इनको जीवन में कई अवसर आते रहते हैं जिनसे भाग्य बदल सकता है।

नकारात्मक पक्ष :-

यदि मंगल, बुध या शुक्र की जन्म कुंडली में खराब स्थिति है, तो जातक दूसरे की स्त्री में अनुरक्त तथा शत्रुओं को संताप देने वाला होता है। थोड़ा-सा ही दुख सहने पर ये धोखेबाज और स्वार्थी बन जाते हैं। ये कुछ ऐसी बाते हैं जिनसे इनका भाग्य दुर्भाग्य में बदल सकता है।

चित्रा नक्षत्र वैदिक मंत्र -

ॐ त्वष्टातुरीयो अद्धुत इन्द्रागी पुष्टिवर्द्धनम।

द्विपदापदाया: च्छ्न्द इन्द्रियमुक्षा गौत्र वयोदधु:।

त्वष्द्रेनम:। ॐ विश्वकर्मणे नम:।

उपाय-

चित्रा नक्षत्र के जातक के लिए देवी दुर्गा और भवानी का पूजन व उपासना उत्तम मानी जाती है।

शक्ति की उपासना से चित्रा के अनिष्ट प्रभाव दूर होते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

जातक को दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

शक्ति पीठों की यात्रा और देवी के सहस्त्रनामों का जाप भी उत्तम होता है।

बहु रंगी पोशाक और फूल पत्तियों के चित्रों वाली ड्रेस पहना अच्छा होता है।

चित्रा नक्षत्र अन्य तथ्य-

  • नक्षत्र - चित्रा
  • राशि - कन्या-2, तुला-2
  • वश्य - नर
  • योनि - व्याघ्र
  • महावैर - गौ
  • राशि स्वामी - बुध-2, शुक्र-2
  • गण - राक्षस
  • नाड़ी - मध्य
  • तत्व - पृथ्वी-2, वायु-2
  • स्वभाव(संज्ञा) - मृदु
  • नक्षत्र देवता - विश्वकर्मा
  • पंचशला वेध - पूर्वा भाद्रपद
  • प्रतीक चिह्न : सीप का मोती
  • रंग : काला
  • अक्षर : प, र
  • वृक्ष : बेल का पेड़
  • नक्षत्र स्वामी : मंगल
  • देवता : विश्‍वकर्मा (त्वष्टा)
  • शारीरिक गठन : चित्रा नक्षत्र में जन्म होने से जातक सुंदर नेत्र और शरीर वाला, चौड़े मस्तक वाला और बलिष्ठ शरीर वाला होता है।
  • भौतिक सुख : भूमि, पुत्र, स्त्री और धन का सुख रहेगा।