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भारत एक धार्मिक देश है और यहां पर सूर्य एक खगोलीय घटना से कई अधिक है। धार्मिक दृष्टि से भारत में सूर्य ग्रहण एक बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटना है। साल 2019 में सूर्य ग्रहण की बात करें तो इस साल तीन बार सूर्य ग्रहण पड़ेगा और इनका प्रभाव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर अलग-अलग पड़ेगा।
हमारी पृथ्वी पर सूर्यादि ग्रहों का सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव सदैव से ही रहा है। सूर्यादि ग्रह नक्षत्रों पर घटने वाली घटनाओं से हमारी पृथ्वी अछूती नहीं रह सकती है। पृथ्वी पर पड़ने वाले शुभ-अशुभ प्रभाव से मानव जीवन सदैव ही प्रभावित होता रहता है।
सूर्य व चंद्र ग्रहण ऐसी घटनाएं हैं जिसको प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में हम समुद्र मे उठते हुए ज्वार भाटा में तो देखते ही हैं, साथ ही पृथ्वी पर होने वाले ऋतु परिवर्तन आदि भी सूर्यादि ग्रहों के कारण ही है। सूर्य जगत की आत्मा है और चंद्र इस संसार की माता है। दोनों ही ग्रहण से प्रभावित होते हैं और दोनों का हमारे जीवन में बड़ा ही महत्व है अर्थात् पृथ्वी पर जीवन का सहारा सूर्य ही है।
साल 2019 में पड़ने वाले ग्रहणों का प्रभाव आप पर किस प्रकार का रहने वाला है। इस आलेख के माध्यम से हम आज आपको यही बताने जा रहे हैं- सन 2019 में तीन सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण होंगे। इस प्रकार 2018 में कुल पांच ग्रहण होंगे।
5.04.08 बजे से 9.18.46 तक आंशिक सूर्य ग्रहण पड़ेगा।
ये साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण है। भारतीय समय के अनुसार यह शाम को 5 बजकर 4 मिनट से रात्रि के 9 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 14 मिनट की होगी।
भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा और इस वजह से यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा। सूर्य ग्रहण मध्य-पूर्वी, चीन, जापान, उत्तर-दक्षिण कोरिया, उत्तर-पूर्वी रूस, मध्य-पूर्वी मंगोलिया, प्रशांत महासागर, अलास्का के पश्चिमी तटों पर दिखाई देगा।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार साल का प्रथम सूर्य ग्रहण धनु राशि और पूर्वाषाझा नक्षत्र में लगेगा। धनु राशि एवं पूर्वाषाढा नक्षत्र से संबंधित जातकों के जीवन पर इसका अधिक प्रभाव पड़ेगा।
23.31.08 से 26.14.46, 3 जुलाई तक
ये साल का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा। यह पूर्ण ग्रहण होगा जोकि रात्रि 23.31 बजे से 2.14 बजे तक रहेगा। यह ग्रीण चिली, अर्जेंटीना और पैसिफिक क्षेत्र में दिखेगा। हालांकि, ये ग्रहण भारत में बिलकुल नज़र नहीं आएगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार ये दूसरा सूर्य ग्रहण मिथुन राशि और आद्रा नक्षण में होगा। इस दौरान मिथुन राशि के जातकों और आद्रा नक्षत्र से संबंधित लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।
08.17.02 से 10.57.09 तक
ये साल का तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण होगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जोकि प्रात: 8.17 से 10.57 तक रहेगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा और इसके अलावा पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया एवं पूर्वी अफ्रीका में दिखाई देगा।
साल 2019 का यह एकमात्र ऐसा सूर्य ग्रहण है जो भारत में दिखाई देगा। इस ग्रहण काल में सूतक लगेगा। यह ग्रहण धुन राशि और मूल नक्षत्र में लग रहा है।
विस्तार से पढ़ें: किस राशि और नक्षत्र में लगेंगे तीनों सूर्य ग्रहण
09.03.54 से 12.20.39 तक
साल 2019 का प्रथम चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को 9 बजक 3 मिनट पर लगेगा और 12 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा। यह ग्रहण पुष्य नक्षत्र और कर्क राशि में होगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा इसलिए यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा।
यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और मध्य प्रशांत क्षेत्र, उत्तरी – दक्षिणी अमेरिका, यूरोप एवं अफ्रीका में दिखाई देगा।
1.31.43 से 4.29.39 तक
साल 2019 का दूसरा चंद्र ग्रहण 16 जुलाई को लगेगा। ये ग्रहण भारत के साथ-साथ कई एशियाई देशों में नज़र आएगा। भारत में सूतक काल मान्य होगा। यह चंद्रग्रहण उत्तराषाढा नक्षत्र में लगेगा और मकर एवं धनु राशि में होगा।
यह चंद्र ग्रहण आंशिक होगा और भारत, अन्य एशियाई देश, दक्षिण अमेरिकी यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।
16-17 जुलाई के चंद्रग्रहण का सूतक काल
चंद्र ग्रहण ( 16-17 जुलाई) के सूतक का समय
सूतक प्रारंभ – 16 जुलाई को 15.55.13 से
सूतक समाप्त – 17 जुलाई को 4.29.50 बजे से
सूचना : दोनों तालिका में दिया गया समय भारतीय मानक समयानुसार है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मनुष्य के जीवन में जो भी दुख या सुख आता है वो सब उसके अपने कर्मों के साथ-साथ ग्रहों के गोचर और नक्षत्र के प्रभाव पर निर्भर करता है। हिंदू ज्योतिष में सौरमंडल के नौ ग्रहों को महत्वपूर्ण बताया गया है। इन नवग्रहों में सूर्य और चंद्रमा भी शामिल है एवं सूर्य और चंद्रमा पर पड़ने वाला ग्रहण भी महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि ग्रहण पड़ने से कुछ समय पूर्व ही उसका असर दिखने लगता है और ग्रहण खत्म होने के कई दिनों पर भी उसक प्रभाव रहता है। ग्रहण ना केवल मनुष्यों बलक जीवों, पर्यावरण, जल आदि पर भी प्रभाव डालते हैं। मनुष्य के जीवन में ग्रहण का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण – जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है तो पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता है।
आंशिक सूर्य ग्रहण – चंद्रमा द्वारा आंशिक रूप से सूर्य को ढकने पर आंशिक सूर्य ग्रहण लगता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण – अगर चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ना ढक कर उसका केवल केंद्रीय भाग ढकता है तो इसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
पूर्ण चंद्र ग्रहण – अगर पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक ले तो इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
आंशिक चंद्र ग्रहण – यदि पृथ्वी चंद्रमा को आंशिक रूप से ढक लेती है तो इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण – अगर चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया से होकर गुज़रता है तो इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी अपूर्ण सी लगती है। इस अवस्था को उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं।
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जोकि सूर्य और पृथ्वी के मध्य चंद्रमा के आने पर होती है। इस दौरान पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की किरणें ढक जाती हैं और सूर्य पर चंद्रमा अपनी छाया बनाने लगता है। इसे घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
सूर्य और चंद्रमा के मध्य पृथ्वी के आ जाने पर चंद्रमा पर पड़ रही सूर्य की किरणें रूक जाती हैं और उसमें छाया बनने लगती है। इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
मत्स्यपुराण के अनुसार राहु (स्वरभानु) नामक दैत्य द्वारा देवताओं की पंक्ति मे छुपकर अमृत पीने की घटना को सूर्य और चंद्रमा ने देख लिया और देवताओं व जगत के कल्याण हेतु भगवान सूर्य ने इस बात को श्री हरि विण्णु जी को बता दिया। जिससे भगवान उसके इस अन्याय पूर्ण कृत से उसे मृत्यु दण्ड देने हेतु सुदर्शन चक्र से वार कर दिया। परिणामतः उसका सिर और धड़ अलग हो गए। जिसमें सिर को राहु और धड़ को केतु के नाम से जाना गया। क्योंकि छल द्वारा उसके अमृत पीने से वह मरा नहीं और अपने प्रतिशोध का बदला लेने हेतु सूर्य और चंद्रमा को ग्रसता है, जिसे हम सूर्य या चंद्र ग्रहण कहते हैं।
ग्रहण लगने से कुछ समय पूर्व सूतक काल लग जाता है। साल 2019 में 26 दिसंबर को पड़ रहे सूर्य ग्रहण के दौरान भी भारत में सूतक काल लग जाएगा। इस दिन सूतक की शुरुआत 25 दिसंबर की शात 5.33 से हो जाएगी जोकि 26 दिसंबर की प्रात: 10.57 पर समाप्त होगा।
ज्योतिषशास्त्र में सूतक काल के लिए कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना जरूरी माना गया है। सूतक काल एक अशुभ समय होता है जिसमें शुभ कार्य करना वर्जित होता है। सूतक काल में निम्न कार्य नहीं करने चाहिए –
ग्रहण के बाद स्नान जरूर करें : यह भारतीय मान्यता है कि ग्रहण के पहले या बाद में राहु का दुष्प्रभाव रहता है जो नहाने के बाद ही जाता है। इस मान्यता के पीछे भी एक विज्ञान है। सूर्य के अपर्याप्त रोशनी के कारण जीवाणु या कीटाणु ज्यादा पनपने लगते हैं जिसके कारण इंफेक्शन होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। इसलिए ग्रहण के बाद नहाने से शरीर से अवांछित टॉक्सिन्स निकल जाते हैं और बीमार पड़ने के संभावना को कुछ हद तक दूर किया जा सकता है।
ग्रहण काल में उपवास का महत्व : ग्रहण प्रेरित गुरुत्वाकर्षण के लहरों के कारण ओजोन के परत पर प्रभाव पड़ने और ब्रह्मांडीय विकिरण दोनों के कारण पृथ्वीवासी पर कुप्रभाव पड़ता है। इसके कारण ग्रहण के समय जैव चुंबकीय प्रभाव बहुत सुदृढ़ होता है जिसके प्रभाव स्वरूप पेट संबंधी गड़बड़ होने की ज्यादा आशंका रहती है। इसलिए शरीर में किसी भी प्रकार के रासायनिक प्रभाव से बचने के लिए उपवास करने की सलाह दी जाती है। इसके साथ मंत्रोच्चारण करने से मन शांत रहता है और व्यक्तिगत कंपन के प्रभाव को भी कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
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