Horoscope
Online Course
Consultation
LeoStar-I
Software
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में चंद्र ग्रहण को एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना के रूप में वर्णित किया गया है। पूर्णिमा की रात को चंद्र ग्रहण होने से मानव जीवन और प्रकृति में कई तरह के बदलाव आते हैं। अब ये बदलाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के हो सकते हैं। माना जाता है कि जिस प्रकार चंद्रमा के प्रभाव से समुद्र में ज्वारभाटा आता है ठीक उसी प्रकार चंद्र ग्रहण के कारण मानव जीवन भी प्रभावित होता है। हर साल धरती पर चंद्र ग्रहण घटित होते हैं और साल 2019 में दो चंद्र ग्रहण पड़ेंगें।
चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण हमेशा साथ-साथ होते हैं तथा सूर्यग्रहण से दो सप्ताह पहले चंद्रग्रहण होता है। सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण। ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए यह समय को अशुभ माना जाता है। इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है। इस समय चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिससे गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं। भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं।
ग्रहण का सीधा संबंध राहु-केतु से माना गया है। ज्योतिष के अनुसार राहु, केतु को अनिष्टकारण ग्रह माना गया है। चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है। ऐसी मान्यता है कि इस कारण सृष्टि इस दौरान अपवित्र और दूषित को हो जाती है। जिसे उपायों, दान, धर्म और पवित्र सरोवरों में स्नान के द्वारा शुद्ध किया जा सकता हैं।
पहला चंद्र ग्रहण : 21 जनवरी, 2019 को 09.03.54 से 12.20.39 तक
ग्रहण किन स्थानों में दिखाई देगा : मध्य प्रशांत क्षेत्र, उत्तरी – दक्षिणी अमेरिका, यूरोप एवं अफ्रीका में दिखाई देगा।
दूसरा चंद्र ग्रहण : 16 जुलाई, 2019 को 1.31.43 से 4.29.39 तक
ग्रहण किन स्थानों में दिखाई देगा : भारत, अन्य एशियाई देश, दक्षिण अमेरिकी यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।
इस प्रकार साल 2019 में दो चंद्र ग्रहण पड़ेंगें जिनमें से एक भारत में दिखाई नहीं देंगें जबकि एक चंद्र ग्रहण भारत में नज़र आएगा।
दिनांक
ग्रहण का प्रकार
21 जनवरी, 2019
पूर्ण चंद्र ग्रहण
16 जुलाई, 2019
आंशिक चंद्र ग्रहण
साल का प्रथम चंद्र ग्रहण : साल 2019 का प्रथम चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को 9 बजकर 3 मिनट पर लगेगा और 12 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा। यह ग्रहण पुष्य नक्षत्र और कर्क राशि में होगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा इसलिए यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा।
यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और मध्य प्रशांत क्षेत्र, उत्तरी – दक्षिणी अमेरिका, यूरोप एवं अफ्रीका में दिखाई देगा।
साल का दूसरा चंद्र ग्रहण : साल 2019 का दूसरा चंद्र ग्रहण 16 जुलाई को लगेगा। ये ग्रहण भारत के साथ-साथ कई एशियाई देशों में नज़र आएगा। भारत में सूतक काल मान्य होगा। यह चंद्रग्रहण उत्तराषाढा नक्षत्र में लगेगा और मकर एवं धनु राशि में होगा।
यह चंद्र ग्रहण आंशिक होगा और भारत, अन्य एशियाई देश, दक्षिण अमेरिकी यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।
16-17 जुलाई के चंद्रग्रहण का सूतक काल
चंद्र ग्रहण ( 16-17 जुलाई) के सूतक का समय
सूतक प्रारंभ – 16 जुलाई को 15.55.13 से
सूतक समाप्त – 17 जुलाई को 4.29.50 बजे से
सूचना : दोनों तालिका में दिया गया समय भारतीय मानक समयानुसार है।
ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रहण को एक खगोलीय घटना बताया गया है जिसमें सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी के आ जाने पर चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें रूक जाती हैं और उसमें अपनी छाया बनने लगती है। इस घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान हानिकारक ऊर्जा का उत्सर्जन होता है और इस वजह से वातावरण दूषित हो जाता है और हर जीव-जंतु पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि, भजन-कीर्तन और ईश्वर के ध्यान से ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
21 जनवरी, 2019 को साल का पहला चंद्र ग्रहण पड़ेगा जोकि पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। ज्योतिषशास्त्र में ग्रहण का कारण राहु-केतु को माना गया है। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में सिद्धियों और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत उचित समय होता है। यही वजह है कि ग्रहण के समय सोने या खाने-पीने या मौज-मस्ती करने की बजाय ईश्वर की आराधना करने को कहा जाता है। ग्रहण के समय को लेकर शास्त्रों में ग्रहण के समय स्त्री पुरुषों के लिए कई नियम बताए गए हैं। इनमें सबसे पहला नियम यह है कि स्त्री पुरुष को ग्रहण की अवधि में रति क्रिया और प्रेमालाप से बचना चाहिए।
ग्रहण के दौरान एवं सूतक काल में काम वासना और शारीरिक क्रीडा से दूर ही रहना चाहिए। ये समय ईश्वर के ध्यान के लिए बहुत शुभ और उचित होता है। कहा जाता है कि अगर कोई स्त्री-पुरुष ग्रहण काल में शारीरिक संबंध बनाते हैं तो उन्हें मृत्यु के बाद नर्क की यातना भोगनी पड़ती है।
वहीं शास्त्रों में गर्भवती स्त्रियों के लिए भी कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं। ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। कहते हैं कि अगर कोई गर्भवती स्त्री ग्रहण में घर से बाहर निकलती है या किसी भी तरह से ग्रहण के संपर्क में आती है तो इसका बुरा असर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्री को कैंची, चाकू या किसी भी तरह के धारदार हथियार से किसी वस्तु को काटने से बचना चाहिए। इस समय सिलाई-कढ़ाई करना भी ठीक नहीं है। गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर पर इस वजह से जन्म से ही कटे या सिले का निशान आ जाता है। चंद्र ग्रहण काल में चंद्रमा के प्रभाव को शुभ करने के लिए उससे संबंधित वस्तुओं का दान करें।
शास्त्रों में ऋषि-मुनियों ने सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय में भोजन करना वर्जित बताया है। इसके पीछे मान्यता है कि ग्रहण के समय में कीटाणु बहुलता से फैल जाते हैं और खाद्य वस्तु, जल आदि में सुक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर उसे दूषित कर देते हैं। इसीलिए ऋषियों ने पात्रों में कुश डालने को कहा है ताकि सब कीटाणु कुश में एकत्रित हो जाएं और उन्हें ग्रहण के बाद फेंका जा सके। पात्रों में अग्नि डालकर उन्हें पवित्र बनाया जाता है ताकि कीटाणु मर जाएं।
शास्त्रों में ग्रहण के पश्चात् स्नान करने का भी विधान है। कहा जाता है कि ग्रहण के बाद स्नान करने से शरीर के अंदर उष्मा का प्रवाह बढ़ता है, भीतर-बाहर के कीटाणु नष्ट होते हैं।
ग्रहण के दौरान भोजन न करने के विषय में जीव विज्ञान विषय के प्रोफेसर टारिस्टन ने पर्याप्त अनुसंधान करके सिद्ध किया है कि सूर्य चंद्र ग्रहण के समय मनुष्य के पेट की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, जिसके कारण इस समय किया गया भोजन अपच, अजीर्ण आदि शिकायतें पैदा कर शारीरिक या मानसिक हानि पहुंचा सकता है।
ग्रहण के बारे में भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रहण से 12 घंटे पूर्व ही उसका अशुभ प्रभाव शुरु हो जाता है। अंतरिक्षीय प्रदूषण के समय को सूतक काल कहा गया है। यही वजह है कि सूतक काल और ग्रहण के समय में कुछ भी खाने-पीने के लिए मना किया जाता है। चूंकि ग्रहण से हमारी जीवन शक्ति का ह्रास होता है और तुलसी दल में विद्युत शक्ति व प्राण शक्ति सबसे अधिक होती है इसीलिए सौर मंडलीय ग्रहण काल में ग्रहण प्रदूषण को समाप्त करने के लिए भोजन तथा पेय सामग्री में तुलसी के कुछ पत्ते डाल दिए जाते है। जिसके प्रभाव से न केवल भोज्य पदार्थ बल्कि अन्न, आटा आदि भी प्रदूषण से मुक्त बने रह सकते है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा को राहु और सूर्य को केतु ग्रसता है। ये दोनों छाया की संतान हैं और इसलिए इन्हें छाया ग्रह कहा गया है। जब चंद्र को ग्रहण लगता है तो कफ प्रधानता बढ़ती है और मन की शक्ति कमजोर हो जाती है। वहीं सूर्य को ग्रहण लगने पर जठराग्नि, नेत्र और पित्त कमजोर पड़ती है।
गर्भवती स्त्री को सूर्य चंद्रमा ग्रहण नहीं देखने चाहिए, क्योंकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु अंगहीन होकर विकलांग बन सकता है। गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए गर्भवती के उदर भाग में गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है जिससे कि राहु केतु उसका स्पर्श न करें। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला को कुछ भी कैंची या चाकू से काटने को मना किया जाता है और किसी वस्त्रादि को सिलने से रोका जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से शिशु के अंग या तो कट जाते है या फिर सिल जाते हैं।
ग्रहण काल को ज्योतिष में अशुभ माना गया है इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
चंद्र ग्रहण के समय क्या उपाय करें
चंद्र ग्रहण के दौरान प्राणायाम और व्यायाम करें।
चंद्र देव की उपासना करें।
चंद्र देव के मंत्र – ‘ऊं श्रीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चंद्र: प्रचोदयात्’ का जाप करें।
ग्रहण की समाप्ति पर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें और मंदिर में स्थापित मूर्तियों पर भी गंगाजल डालकर उन्हें शुद्ध करें।
ग्रहण काल के बाद मंदिर में दीया जलाएं और पूजन करें।
चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद ताजा भोजन पकाएं और खाएं। ग्रहण से पूर्व पके हुए भोजन को खाने से नुकसान होता है। अगर पहले से भोजन पका हुआ है तो उसमें ग्रहण से पूर्व तुलसी डाल दें। इससे वह दूषित नहीं होगा।
ग्रहण काल के पश्चात् जरूरतमंद व्यक्ति और ब्राह्मण को अनाज एवं दक्षिणा दान में दें।
Exp:40 years
Love
Relationship
Family
Career
Business
Finance
Lal Kitab is a methodology that is quite...
Kundli Matching is one of the best parts...
Free Numerology is 2-3 page long...,
Future Point offers free Horoscope...
Ketu planet is known as shadow planet....
हम सभी का जीवन ग्रहों की दिशा और दशा ...
The life of all us remains dependent...
इस मानव जीवन में धन की आवश्यकता सभी...
Zodiac Reveals: Who is Your Ideal Spouse According to the Stars?
Who would be the best relationship match for a Capricorn Ascendant?
What does the conjunction of ‘Malefic’ Rahu and ‘Cruel’ Mars mean for you?
100% Secure Payment
100% Secure
100% Secure Payment (https)
High Quality Product
High Quality
100% Genuine Products & Services
Help / Support
Help/Support
Trust
Trust of 36 years
Trusted by million of users in past 36 years