श्राद्ध 2018, कब किनका श्राद्ध करें, श्राद्ध की महत्वपूर्ण जानकारी | Future Point

श्राद्ध 2018, कब किनका श्राद्ध करें, श्राद्ध की महत्वपूर्ण जानकारी

By: Future Point | 06-Sep-2018
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श्राद्ध 2018, कब किनका श्राद्ध करें, श्राद्ध की महत्वपूर्ण जानकारी

हिंदू धर्म में वैदिक शास्‍त्रों के अनुसार व्‍यक्‍ति की मृत्‍यु के पश्‍चात् उसकी आत्‍मा की शांति के लिए तपर्ण करने का विधान है। पौराणिक ग्रंथों में भी देवपूजा से पहले अपने पूर्वजों की पूजा करने का वर्णन मिलता है। अगर पितर प्रसन्‍न होते हैं तो देवता भी प्रसन्‍न हो जाते हैं। भारत में ना सिर्फ जीवित बड़े-बुजुर्गों का सम्‍मान करना सिखाया जाता है बल्कि उनकी मृत्‍यु के बाद भी उनका श्राद्ध कर्म करके उनके प्रति श्रद्धा दिखाई जाती है।

यदि कोई विधि अनुसार पितरों का तपर्ण ना करे तो उसे मुक्‍ति नहीं मिल पाती है और उसकी आत्‍मा मृत्‍युलोक में ही भटकती रहती है।

पितृ पक्ष का कारण

ज्‍योतिष शास्‍त्र में भी पितृ पक्ष का उल्‍लेख मिलता है। अगर किसी को बार-बार प्रयास करने पर भी सफलता नहीं मिल पा रही है या कोई सफलता के बिलकुल नज़दीक पहुंचकर विफल हो जाता है या संतान प्राप्‍ति में दिक्‍कते आ रही हैं या धन की हानि हो रही है तो उस व्‍यक्‍ति के पितृ दोष से ग्रस्‍त होने की संभावना बढ़ जाती है। पितृ दोष से मुक्‍ति पाने और अपने जीवन को समृद्ध बनाने के लिए ही श्राद्ध के दिनों में पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है।


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आइए अब जान लेते हैं कि श्राद्ध की किस तिथि पर किसका श्राद्ध किया जाना चाहिए।

पूर्णिमा तिथि : ये पहला श्राद्ध होता है जोकि पूर्णिमा तिथि पर आता है। इस दिन उन लोगों का तर्पण किया जाना चाहिए जिनकी मृत्‍यु पूर्णिमा ति‍थि को हुई हो।

प्रतिपदा तिथि : जिनकी मृत्‍यु प्रतिपदा तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। नाना-नानी का श्राद्ध भी इस दिन किया जा सकता है।

द्वितीय तिथि : जिन पूर्वजों की मृत्‍यु द्वितीय तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध इस तिथि पर करने का विधान है। ये पितृ पक्ष का तीसरा श्राद्ध होता है।

तृतीय तिथि : ये पितृ पक्ष का चौथा श्राद्ध माना जाता है और इस दिन तृतीय तिथि को मृत्‍यु को प्राप्‍त हुए पूर्वजों का तर्पण किया जाता है।

चतुर्थी तिथि : जिनकी मृत्‍यु चतुर्थी तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।

पंचम तिथि : जिनकी मृत्‍यु पंचम तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। यह श्राद्ध उन परिवारजनों के लिए भी किया जाता है जिनकी मृत्‍यु विवाह उपरांत यानि की कुंवारेपन में ही हो गई हो। इस वजह से इस श्राद्ध को कुंवारा पंचमी श्राद्ध भी कहा जाता है।


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षष्‍ठी तिथि : ये सातवां श्राद्ध होता है और जिन लोगों की मृत्‍यु षष्‍ठी तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।

सप्‍तमी तिथि : पितृ पक्ष के आठवें श्राद्ध के दिन सप्‍तमी तिथि को सप्‍तम तिथि पर मृत्‍यु को प्राप्‍त हुए लोगों का तर्पण किया जाता है।

अष्‍टमी तिथि : अगर आपके घर में किसी व्‍यक्‍ति या बड़े-बुजुर्ग की मृत्‍यु अष्‍टमी तिथि को हुई है तो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष के नवम श्राद्ध यानि अष्‍टमी तिथि को किया जाएगा।

नवमी तिथि : जिनकी मृत्‍यु नवमी तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। मुख्‍य रूप से इस दिन माता और परिवार की सभी स्त्रियों का श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस कारण इस श्राद्ध तिथि को मातृनवमी भी कहा जाता है।

दशमी तिथि : दशमी तिथि पर मृत्‍यु को प्राप्‍त हुए जातकों का श्राद्ध इस तिथि पर करने का विधान है।

एकादशी तिथि : इसे ग्‍यारस श्राद्ध भी कहा जाता है। जिनकी मृत्‍यु एकादशी तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।

द्वादश तिथि : द्वादश तिथि पर मृत्‍यु को प्राप्‍त हुए पूर्वजों का इस दिन श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध भी किया जाता है जिन्‍होंने मृत्‍यु से पूर्व सन्‍यास ले लिया हो।

त्रयोदशी तिथि : त्रयोदशी तिथि पर मृत्‍युलोक गए जातकों का श्राद्ध किया जाता है। घर के मृत बच्‍चों का श्राद्ध करने के लिए भी ये दिन उचित माना जाता है।

चुर्तदशी तिथि : इस तिथि का श्राद्ध केवल उन मृतजनों के लिए करना चाहिए जिनकी मृत्‍यु किसी शस्‍त्र या हथियार से हुई हो यानि की जिनकी हत्‍या की गई हो या जिन्‍होंने आत्‍महत्‍या की हो या जिनकी मृत्‍यु किसी हादसे में हुई हो। अगर किसी की मृत्‍यु चतुर्दशी तिथि को हुई है तो उनका श्राद्ध अमावस्‍या श्राद्ध तिथि को ही किया जाएगा।

अमावस्‍या ति‍थि : जिनकी मृत्‍यु अमावस्‍या, पूर्ण‍िमा या चतुर्दशी तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। इसके अलावा जिन लोगों को अपने मृत परिजनों की तिथि याद या ज्ञात ना हो उनका श्राद्ध भी इस तिथि को किया जा सकता है। इसे सर्व पितृ अमावस्‍या श्राद्ध भी कहा जाता है।


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इस तरह आप अपने पूर्वजों की मृत्‍यु तिथि के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान उनका तर्पण कर सकते हैं। तर्पण करने से पूर्वजों की आत्‍मा को शांति मिलती है और आपके घर-परिवार में सुख और समृद्धि आती है।



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