सूर्य का गोचर
सूर्य के गोचर का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। जब सूर्य राशि परिवर्तन करता है तो इसे सूर्य संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य एक राशि में एक माह की अवधि तक गोचर करता है। इस दौरान वह विभिन्न राशि के अलग-अलग भावों में स्थित होकर उन्हें प्रभावित करता है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है। इसके समीप आने पर किसी भी ग्रह का प्रभाव शून्य हो जाता है, इसलिए कई बार ऐसा होता है कि सू्र्य के प्रभाव में आने के कारण संबंधित ग्रह अपने चरित्र के अनुसार परिणाम नही दे पाते हैं ऐसे ग्रहों को अस्त ग्रह कहा जाता है।
सूर्य गोचर का क्या अर्थ है?
सूर्य की एक राशि से दूसरी राशि में गमन को विभिन्न राशियों में सूर्य का गोचर कहा जाता है। सूर्य का यह गोचर आमतौर पर वर्ष में बारह बार होता है। विभिन्न राशियों के जातकों पर इसका भिन्न-भिन्न प्रभाव होता है।
सूर्य का गोचर कितने समय तक चलता है?
सूर्य एक राशि में लगभग तीस दिनों तक रहता है। फिर वह दूसरी राशि में गोचर करता है। तीस दिनों के उपरान्त बारह राशि बदलने का अर्थ है कि सूर्य का गोचर (Sun transit) एक वर्ष में बारह बार होता है।
सूर्य का महत्व -
हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। सूर्य के प्रकाश से समस्त जीवों को जीवन मिलता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को नवग्रहों के राजा की उपाधि दी गई है। कुंडली में सूर्य आत्मा, पिता, पूर्वज, उच्च पद, सरकारी नौकरी और मान-सम्मान आदि का कारक कहा गया है। जन्म कुंडली में सूर्य के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को मान-सम्मान, सरकारी नौकरी और राजनीतिक जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। वहीं सूर्य के अशुभ प्रभाव से कुंडली में पितृ दोष, नौकरी में असफलता, मान-सम्मान की कमी और नेत्र पीड़ा होती है।
किस प्रकार प्रभावित करता है, सूर्य का गोचर -
गोचर में चन्द्रमा का विशेष महत्व है। इसलिए महर्षियों ने गोचर को भी चन्द्रमा से देखने का आदेश दिया। सूर्य के गोचर का प्रभाव आपकी चंद्र राशि पर निर्भर करता है। सूर्य अधिकार, शक्ति, पिता और सम्मान का कारक होने के कारण करियर और वैवाहिक जीवन पर विशिष्ट प्रभाव डालता है। मूल रूप से जन्म समय के चंद्रमा से तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें भाव में स्थित सूर्य जातक के लिए लाभकारी होता है। तो ऐसी स्थिति में यह धन, कीर्ति, राजदरबार में सम्मान, सरकारी पद, सब कार्यों में सफलता, अच्छी बुद्धि, स्वजन संबंधियों का सुख तथा पुण्य की वृद्धि, ये फल प्राप्त होते हैं। वहीं गोचर सूर्य से 1, 2, 4, 5, 7, 8, 9, 12 स्थानों में हो तो रोग, शोक, भय, अग्नि से कष्ट, चिंता, प्रवास, धन की हानि, ये फल प्राप्त होते हैं।
विभिन्न चंद्र राशियों पर सूर्य के गोचर का प्रभाव-
जब सूर्य भचक्र की बारह राशियों में गोचर करता है तो सूर्य के गोचर का हर राशि पर अलग प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक राशि में सूर्य के प्रत्येक गोचर जातक को अलग प्रकार से प्रभावित करता है। सूर्य के गोचर के दौरान कैसा फल प्राप्त होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सूर्य आपकी कुंडली या राशि से किस भाव में संचरण कर रहा है। क्योंकि सभी 12 भावों में सूर्य के गोचर का फल भिन्न-भिन्न होता है। जन्मकुंडली में चंद्रमा जिस भाव में स्थित होता है उसे लग्न भाव मानकर गोचर के ग्रहों का फलकथन कहा जाता है। आईये जानते हैं विभिन्न भावों और राशियों में सूर्य के फल को……