केतु का गोचर
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में केतु ग्रह अपनी अलग अहमियत रखता है। केतु के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं। यह आपकी कुंडली में जिस भाव में बैठा है उसको तो प्रभावित करता ही है साथ ही सप्तम दृष्टि से यह जिस भाव को देखता है उसपर भी असर डालता है। ज्योतिष शास्त्र में केतु को अशुभ ग्रह का दर्जा दिया गया है लेकिन इसके प्रभाव हमेशा बुरे नहीं होते। केतु के असर से व्यक्ति में आध्यात्मिक प्रवृति पैदा होती है और वह तंत्र विद्या में पारंगत हो सकता है। केतु को मयावी ग्रह माना जाता है इसलिये इसके प्रभाव से इंसान में गुढ़ विद्याएं जानने की इच्छा पैदा होती है। केतु की दशा और अन्तर्दशा के दौरान जीवन में कोई न कोई परेशानी जरुर आती है इसलिये ऐसे समय में संभलकर रहना चाहिये।
केतु के गोचर का क्या अर्थ है?
आइये समझते हैं कि केतु का गोचर किसे कहते हैं और यह गोचर कितने समय एक राशि को प्रभावित कर सकता है और इस गोचर का आपकी राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा। केतु ग्रह किसी एक राशि में डेढ़ वर्ष अर्थात 18 माह तक रहते हैं और फिर वह दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। जब भी केतु एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे ही केतु गोचर कहते हैं।
केतु गोचर कब तक रहता है?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार केतु एक चंद्र राशि पर 18 माह तक प्रभाव डालता है। इसके पश्चात केतु दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इसका एक अर्थ यह भी निकाल सकते हैं कि केतु एक साथ एक ही राशि पर लगातार दो वर्ष तक प्रभाव नहीं डालते हैं। यदि हम इस गोचर को वैदिक ज्योतिष के नजरिए से देखें तो इसका भी महत्व अन्य गोचरों के बराबर होता है। इसका महत्व थोड़ा ज्यादा होता है, क्योंकि इस गोचर के दौरान जो भी आपके साथ होगा वह लगातार 18 माह तक होता रहेगा।
आपको कैसे प्रभावित करता है, केतु गोचर ?
वैदिक ज्यातिष में केतु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व हासिल नहीं है, लेकिन राशिचक्र की नवम राशि धनु इसकी उच्च राशि है जबकि मिथुन में यह नीच अवस्था में रहता है। केतु एक काल्पनिक लेकिन प्रभावशाली एवं ताकतवर ग्रह है। इसका प्रभाव आपकी राशि पर हमेशा रहेगा और कभी कभी यह एक साथ अन्य राशियों पर भी प्रभाव डालेगा। लेकिन इस बात को भी झठलाया नहीं जा सकता कि केतु सकारात्मक परिणाम भी देने में सक्षम होता है। यदि किसी जातक की कुंडली में केतु देवताओं के गुरु कहे जाने वाले बृहस्पति ग्रह के साथ विराजमान है तो इस युति से राज योग का निर्माण होता है। कुंडली में यदि केतु बली अवस्था में है तो ऐसे जातकों के पैर मजबूत होते हैं। यदि केतु की स्थिति कुंडली में सही नहीं है तो ऐसे जातक के जीवन में समस्याएं आती रहती हैं।
केतु यह दिखाता है कि उससे आपको लाभ हो रहा है, लेकिन जो कुछ भी आपको इस ग्रह से मिलेगा वह स्थायी नहीं होता, इसलिए केतु जो कुछ भी देता है उस पर कभी भी निर्भर नहीं रहना चाहिए। केतु ग्रह के कारण मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं, खर्च में वृद्धि, कर्ज को ना चुका पाना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। लेकिन आपको डरने की आवश्यकता नहीं है। इस गोचर के दौरान कुछ भाव और चंद्र राशि अत्यंत लाभकारी परिणाम दे सकते हैं जैसे - धन संपत्ति में वृद्धि, विदेश यात्रा का मौका, पेशे में वृद्धि, वैवाहिक जीवन में सुख, और अन्य फायदे। लेकिन जो भी परिणाम आपको मिलेंगे वह स्थाई नहीं होंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि केतु गोचर के दौरान केतु, एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है।
केतु ग्रह का अलग अलग चंद्र राशि पर प्रभाव -
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में जिस भी भाव में केतु विराजमान होता है उस भाव को प्रभावित करता है। हर भाव में केतु के गोचर का फल अलग मिलता है। तृतीय, पंचम, षष्ठम, नवम और द्वादश भावों में केतु अच्छे फल देता है। ज्योतिष शास्त्र में केतु को समाज सेवा, धर्म, आध्यात्म आदि का कारक माना जाता है। यदि आपकी कुंडली में केतु की स्थिति अच्छी नहीं है तो आप नाना या मामा के प्यार से वंचित हो सकते हैं। सूर्य और चंद्र को केतु का शत्रु माना जाता है, जबकि शनि, शुक्र केतु के मित्र माने जाते हैं। लेकिन केतु के इस गोचर में कुछ भी स्थायी नहीं मिलता, इसलिए इस गोचर के दौरान बहुत ज्यादा सावधान रहना चाहिए। तो इस स्थिति में आपको गोचर की शुरुआत में एक अच्छे ज्योतिषी से संपर्क करना चाहिए ताकि इस गोचर के दौरान आपको सकारात्मक परिणाम मिल सकता है।
केतु ग्रह के मंत्र -
केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिये केतु ग्रह की शांति के उपाय करने चाहिये। इसके साथ ही नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करके भी आप केतु ग्रह को शांत कर सकते हैं। नीचे केतु ग्रह के मंत्र दिये गये हैं जिनका जाप करके आप केतु के बुरे प्रभावों से बचा जा सकते है।
केतु ग्रह का बीज मंत्र- ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः
केतु ग्रह का वैदिक मंत्र- "ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे। सुमुषद्भिरजायथा:"