बृहस्पति का गोचर
गुरु गोचर हिन्दू वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण गोचर माना जाता है। दरअसल शनि, राहु, केतु और बृहस्पति ऐसे ग्रह हैं जिनकी गोचरीय अवधि अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक होती है। इसलिए जब-जब ये ग्रह गोचर करते हैं इसका व्यापक प्रभाव मानव जीवन पर देखने को मिलता है। गुरु यानि बृहस्पति की गोचरीय अवधि लगभग 13 महीने की होती है यानि गुरु एक राशि में करीब 1 साल 1 महीने तक संचरण करता है।
बृहस्पति गोचर का क्या अर्थ होता है?
ज्योतिष शास्त्र में गुरु यानि बृहस्पति ग्रह का बहुत बड़ा दर्जा है। इन्हें समस्त देवताओं का गुरु माना जाता है। बृहस्पति के एक राशि से दूसरी राशि में गतिमान होने को, विभिन्न राशियों में बृहस्पति गोचर के रूप में जाना जाता है। व्यावहारिक रूप से बृहस्पति गोचर वर्ष में एक बार या तेरह माह में होने के कारण, प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में बृहस्पति का अधिकतम एक गोचर होता है जिसका विभिन्न राशियों के जातकों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
बृहस्पति गोचर कितने समय तक रहता है?
बृहस्पति एक राशि में लगभग बारह से तेरह माह तक स्थित रहने के बाद, लगभग बारह से तेरह माह बाद दूसरी राशि में गोचर करता है। इसका मतलब यह है कि बृहस्पति एक वर्ष में अधिकतम एक राशि परिवर्तित करता है।
बृहस्पति गोचर कैसे प्रभावित करता है?
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को धर्म, ज्ञान, संतान और परोपकार आदि का कारक माना गया है। देवताओं के गुरु होने की वजह से नवग्रहों में बृहस्पति को देव गुरु की उपाधि दी गई है। शुक्र की तरह गुरु की गिनती भी शुभ ग्रहों में होती है हालांकि गुरु और शुक्र आपस में शत्रुता का भाव रखते हैं। क्योंकि शुक्र को दैत्यों का गुरु और बृहस्पति को देवताओं का गुरु कहा गया है। गुरु के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को बेहतर शिक्षा, संतान, धार्मिक और आध्यात्मिक विचार प्राप्त होते हैं। वहीं कुंडली में बृहस्पति के कमजोर होने से संतान सुख में देरी या कमी देखने को मिलती है। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को धनु और मीन राशि का स्वामित्व प्राप्त है। सूर्य, चंद्रमा और मंगल ग्रह से गुरु मित्रवत स्वभाव रखते हैं लेकिन बुध और शुक्र से बैर भाव रखते हैं। शनि ग्रह के प्रति गुरु समानता का भाव रखते हैं। बृहस्पति अत्यधिक लाभकारी ग्रहों में से एक है। बृहस्पति ग्रह को संपत्ति, प्रतिफल, भाग्य और प्रतिष्ठा की भावनाओं का उत्तरदायित्व दिया गया है। अनुकूल बृहस्पति गोचर के साथ, जातक पूर्ण रूप से नए क्षेत्रों में मिलने वाले अवसरों द्वारा उत्साह बनाए रख सकते हैं। बृहस्पति गोचर जातकों को पेशे, व्यवसाय, करियर, विवाह और वैवाहिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में लाभ प्रदान कराता है।
विभिन्न चंद्र राशियों पर बृहस्पति गोचर का प्रभाव -
गुरु के गोचर का प्रभाव व्यक्ति की शिक्षा, संतान, धन, धर्म और आध्यात्मिक विचार आदि मामलों पर पड़ता है। यदि गुरु जन्म कुंडली में त्रिकोण भावों में स्थित होता है तो इसे अत्यंत लाभकारी माना जाता है। बृहस्पति गोचर का विभिन्न चंद्र राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। एक राशि में बृहस्पति के प्रत्येक गोचर का अलग-अलग व्यक्तियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। हमारे द्वारा बृहस्पति गोचर से संबंधित जानकारियों का वर्णन किया गया है, जिसमें उपरोक्त बताए गए नियम के अनुसार, बृहस्पति गोचर का प्रभाव प्रत्येक राशि में वर्ष में अधिकतम एक बार होता है। आईये जानते हैं गोचर के गुरु का विभिन्न राशियों भावों में मिलने वाला फल-