पितृदोष क्या है और इसका वास्तु से क्या संबंध है ?

By: Vinay Garg | 16-Nov-2017
Views : 10232
पितृदोष क्या है और इसका वास्तु से क्या संबंध है ?

क्यों पितृ दोष के उपाय करने के बाध भी परेशानियां कम नहीं होती ? पितृदोष क्या है और इसका वास्तु से क्या संबंध है ? जन्म कुंडली में पितृदोष होने के बाद हमारे घर में वास्तु दोष कहां उत्पन होता है, और कैसे इस वास्तु दोष को हटाकर हम पितृदोष के प्रभावों को 90% तक कम कर सकते हैं ?

पित्रदोष बनता कैसे हैं ?

सूर्य हमारे पितृ है, और जब राहु की छाया सूर्य पर पड़ता है (तब सूर्य यानि की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव काम हो जाता है ) यानि की जब राहू सूर्य के साथ बैठा हो , या राहु पंचम भाव में हो , या सूर्य राहु के नक्षत्र में हो , या पंचम भाव का उप नक्ष्त्र स्वामी राहु के नक्षत्र में हो तब ऐसी परिस्थिति में पितृदोष उत्पन होता है |

ऐसा माना जाता है कि परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है और उनका सही तरीके से श्राद ना किया गया हो तब उस परिवार में जन्म लेने वाले संतान में पितृ दोष आ जाता है ( खासकर पुत्र संतान मै ) जिसकी वजह से उन्हें अपने जीवन में काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है |

जिस व्यक्ति के जन्म कुंडली में है पूर्ण पितृदोष होता है उन्हें पुत्र संतान का सुख प्राप्त नहीं हो पाता है | आपने ऐसे कई लोगों को देखा होगा जो कि मेडीकल के अनुसार स्वस्थ होते हैं लेकिन फिर भी संतान की प्राप्ति नहीं होती और डॉक्टर बताते हैं कि मेडिकल से उन्हें कोई परेशानी नहीं है फिर भी उन्हें संतान का सुख नहीं मिल पाता या कई लोगों के सिर्फ पुत्री ही होती हैं पुत्र धन की प्राप्ति नहीं हो पाता |

ऐसी परिस्थिति में उनकी कुंडली में पितृदोष जरूर होता है और उनके घर में ईशान कोण या नैत्रत्य कोण में शौचालय जरूर होता है |

कई बार पितृ दोष का प्रभाव इतना बढ़ जाता है व्यक्ति का सारा जमीन जायदाद एवं संपत्ति तक बिक जाता है और वह नई संपत्ति खरीद भी नहीं पाता| आपने ऐसे कई लोगों को ऐसे देखा होगा या सुना होगा जो बहुत बड़े जमींदार होते थे उनके पास बहुत ज्यादा पैसा होता था लेकिन आज उनके पास कुछ भी नहीं है यहाँ तक की अपना घर तक नहीं है इसका मुख्य कारन पितृदोष होता है |

पितृदोष का वास्तु से क्या सम्बन्ध है

घर में पितृ का स्थान दक्षिण और पश्चिम का कोना है यानी कि नैत्रत्य कोण है । जन्म कुंडली में जब भी पूर्ण पितृदोष बनता है यानी की राहु (जो की नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत्र है ) मजबूत हो जाता है, और जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में नकारात्मक उर्जा मजबूत होता है उस घर में भी उसका प्रभाव देखने को मिलता है

घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह ईशान कौन से होता है और नकारात्मक उर्जा का प्रवाह नैत्रत्य कोण से होता है , जब जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है यानी कि राहु मजबूत होता है ऐसी परिस्थिति में वह व्यक्ति जिस घर में रहता है उस घर के नैत्रत्य कोण में वास्तु दोष जरूर होता है

नैत्रत्य कोण के मुख्यतः वास्तु दोष निम्नलिखित हैं

नैत्रत्य कोण में शौचालय का होना , डस्टबिन का होना , नाली का होना , दक्षिण पश्चिम में गंदगी होना (जो की राहु की नकारात्मक उर्जा को 100 गुना बढ़ा देता है )

दक्षिण पश्चिम में पृथ्वी की उर्जा होती है अगर यहां पर पेड़ - पौधे रखे हों या दीवार का रंग हरा हो तो भी पृथ्वी की उर्जा समाप्त हो जाती है जिससे भी यहाँ पर वास्तुदोष पैदा होते हैं ।

वैवाहिक जीवन पर प्रभाव

घर में नैत्रत्य कोण रिश्ते का स्थान भी है , और अगर यहां पर वास्तु दोष होता है तो वैवाहिक जीवन में बहुत सारी परेशानियां आती हैं यहां तक कि कई बार बात तलाक तक पहुंच जाती है और जिसका कोई खास वजह नहीं होता , अगर किसी व्यक्ति के घर में आपसी रिश्ते खराब हो और बिना किसी कारन के बार-बार झगड़े होते हैं तो नैत्रत्य कोण में वास्तु दोष जरूर होगा ।उचित उपाय से अवश्य समस्या का समाधान होता है।



Previous
कुछ शुभ - अशुभ शकुन व उनके फल

Next
पारद शिवलिंग का ज्योतिषी प्रयोग