पिछले जन्म में आप क्या थे? क्या आप जानते हैं

By: Future Point | 16-Dec-2017
Views : 15286
पिछले जन्म में आप क्या थे? क्या आप जानते हैं

पश्चिम सभ्यता पुन:जन्म की धारणा को स्वीकार नहीं करती है, परन्तु हिंदू धर्म की अवधारणा इसके विपरीत है। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार प्राणी का केवल शरीर नष्ट होता है, आत्मा अमर है। आत्मा एक शरीर के नष्ट हो जाने पर दूसरे शरीर में प्रवेश करती है, इसे ही पुनर्जन्म कहते हैं। पुनर्जन्म के सिद्धांत को लेकर हम सभी के मन में यह जानने की जिज्ञासा अवश्य रहती है कि पूर्वजन्म में हम क्या थे और इसके बाद के जन्म में हमें कौन सी योनि प्राप्त होगी। वैसे तो यह विषय सहज नहीं है, परन्तु इस तरह के सभी प्रश्नों का समाधान भारतीय वैदिक ज्योतिष में पाया जाता है। सैंकड़ों वर्षों के गहन अध्ययन व शोध के पश्चात वैदिक ऋषियों को कुंडली के माध्यम से यह जानने में सफलता प्राप्त हो चुकी थी। उसके अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली देखकर उसके पूर्व जन्म और मृत्यु के बाद आत्मा की गति के बारे में जाना जा सकता है। किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली उसके इस जन्म, पूर्व जन्म और आने वाले जन्म की व्याख्या करती है। 

यह भी पढ़ें: दिशाशूल क्या होता है?

इस आलेख में हम ज्योतिष के कुछ इसी तरह के योगों की जानकारी दे रहे हैं-
  • जिस व्यक्ति की कुंडली में चार या इससे अधिक ग्रह उच्च राशि के अथवा स्वराशि के हों तो उस व्यक्ति ने उत्तम योनि भोगकर यहां जन्म लिया है, ऐसा ज्योतिषियों का मानना है।
  • लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा हो तो ऐसा व्यक्ति पूर्वजन्म में योग्य वणिक था, ऐसा मानना चाहिए।
  • लग्नस्थ गुरु इस बात का सूचक है कि जन्म लेने वाला पूर्वजन्म में वेदपाठी ब्राह्मण था। यदि जन्मकुंडली में कहीं भी उच्च का गुरु होकर लग्न को देख रहा हो तो बालक पूर्वजन्म में धर्मात्मा, सद्गुणी एवं विवेकशील साधु अथवा तपस्वी था, ऐसा मानना चाहिए।
  • यदि जन्म कुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो अथवा तुला राशि का हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में भ्रष्ट जीवन व्यतीत करना वाला था, ऐसा मानना चाहिए।
  • लग्न या सप्तम भाव में यदि शुक्र हो तो जातक पूर्वजन्म में राजा अथवा सेठ था व जीवन के सभी सुख भोगने वाला था, ऐसा समझना चाहिए।
  • लग्न, एकादश, सप्तम या चौथे भाव में शनि इस बात का सूचक है कि व्यक्ति पूर्वजन्म में शुद्र परिवार से संबंधित था एवं पापपूर्ण कार्यों में लिप्त था।।
  • यदि लग्न या सप्तम भाव में राहु हो तो व्यक्ति की पूर्व मृत्यु स्वभाविक रूप से नहीं हुई, ऐसा ज्योतिषियों का मत है।
  • चार या इससे अधिक ग्रह जन्म कुंडली में नीच राशि के हों तो ऐसे व्यक्ति ने पूर्वजन्म में निश्चय ही आत्महत्या की होगी, ऐसा मानना चाहिए।
  • कुंडली में स्थित लग्नस्थ बुध स्पष्ट करता है कि व्यक्ति पूर्वजन्म में वणिक पुत्र था एवं विविध क्लेशों से ग्रस्त रहता था।
  • सप्तम भाव, छठे भाव या दशम भाव में मंगल की उपस्थिति यह स्पष्ट करती है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में क्रोधी स्वभाव का था तथा कई लोग इससे पीडि़त रहते थे।
  • गुरु शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पंचम या नवम भाव में हो तो जातक पूर्वजन्म में संन्यासी था, ऐसा मानना चाहिए।
  • कुंडली के ग्यारहवे भाव में सूर्य, पांचवे में गुरु तथा बारहवें में शुक्र इस बात का सूचक है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में धर्मात्मा प्रवृत्ति का तथा लोगों की मदद करने वाला था, ऐसा ज्योतिषियों का मानना है।

Previous
बन रहे हैं अगर ये योग तो आप भी बन सकते हैं सफल पोलिटिशियन

Next
करेंगे अपने मामा का वध - लिखा था भगवान श्रीकृष्ण की कुंडली में