गर्भवती महिला और बच्चे के लिए ये उपाय हैं बेहद जरुरी - नकारात्मक शक्तियों को दूर रखने के उपाय

By: Future Point | 16-Jun-2018
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गर्भवती महिला और बच्चे के लिए ये उपाय हैं बेहद जरुरी - नकारात्मक शक्तियों को दूर रखने के उपाय

  • हिन्दूधर्म और चिकित्सा जगत यह कहता हैं कि जब कोई महिला गर्भवती होती हैं तो उसे अपने और अपनी संतान की सेहत का ख्याल रखने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के कुछ सामान्य उपायों का पालन कर गर्भवती स्त्री अपने ओर अपने गर्भ में पल रही संतान का अधिक ध्यान रखती सकती हैं। आज इस आलेख मे हम आपको वास्तु शास्त्र के कुछ ऐसे ही उपायों की जानकारी देने जा रहे हैं-
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार गर्भवती स्त्री और पुरुष के लिए दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए।
  • जब से स्त्री गर्भवती हो जाए, तब से घर के दक्षिण-पूर्वी दिशा के एकांत कोने में सायंकाल में शुद्ध घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता हैं।
  • यह भी माना जाता हैं कि गर्भवती महिला और छोटे बच्चे को बुरी नजर से बचाने के लिए इनके पासपास मोर पंख लगाना मददगार रहता हैं। वास्तु शास्त्र की मान्यता के अनुसार मोर पंख बहुत पवित्र हैं यह जिस घर में रहता हैं उस घर से नकारात्मक शक्तियां सदैव के लिए दूर रहती हैं।
  • हिन्दू धर्म शास्त्रों में अक्षत का प्रयोग सभी पूजा पाठ में किया जाता हैं। यह शुभता का प्रतीक हैं। इन्ही अक्षतों को हल्दी से रंग कर यादि गर्भवती स्त्री के पास रखते हैं अथवा नवजात बालक के करीब रखते है तब भी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता हैं।
  • इसके अतिरिक्त गर्भवती महिला के कमरे में बाल गोपाल श्री कृष्ण और माता यशोदा का चित्र लगाना अतिशुभ माना गया है। तस्वीर लगाते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि गर्भवती महिला सुबह जब उठे तो उसकी पहली नजर इस तस्वीर पर पड़े। यह माना जाता हैं कि इससे जन्म लेने वाले बालक में अच्छे गुण और स्वभाव आते हैं।
  • भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा लगाने से भी गर्भवती महिला की सेहत ठीक रहती हैं। यह माना जाता हैं कि इससे घर का वास्तु सकारात्मक रहता हैं। इससे नवजात या आने वाले बालक का स्वास्थ्य अच्छा रहता हैं।
  • तांबे के बर्तन में जल और तांबे की वस्तुएं रखना, वास्तु के पक्ष से उत्तम कहा जाता हैं।
  • नवजात बच्चों के कमरे में सफेद या क्रीम रंग करान से बालक शांत रहता है। यही रंग गर्भवती महिलाओं के कमरे में भी कराना चाहिए, रंग के प्रभाव से गर्भवती महिला का मन-मस्तिष्क शांत व सेहत अच्छी रहती हैं। ज्योतिष शास्त्र में यह माना जाता हैं कि आसपास के रंगों और वातावरण का प्रभाव वहां रहने वाले व्यक्तियों पर पड़्ता हैं।
  • गर्भवती स्त्रियां इस दौरान स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए हल्के-फुल्के व्यायाम करें, इसके लिए वो घर की उत्तरी-पूर्वी दिशा का प्रयोग करें।
  • अपना अधिक से अधिक समय ऐसी महिलाएं घर के पूर्वी भाग में करें। वास्तु शास्त्र यह कहता हैं कि इस दिशा में देव इंद्र का प्रभाव अधिक होता है। इस दिशा में समय व्यतीत करने पर रक्त का प्रभाव बेहतर होता है और थकावट व कमजोरी का अनुभव कम होता हैं।
  • घर के मुख्य द्वार पर दहलीज थोड़ी ऊंची बनवाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती हैं।
  • साथ ही प्रवेश द्वार पर गणेश जी मूर्ति अंदर और बाहर दोनों ओर लगाना शुभ माना जाता हैं। द्वार के दोनों ओर ऊं, सतिया और शुभ लिखना भी घर को सकारात्मक ऊर्जा से युक्त रखता हैं।
  • घर के सामने साफ सफाई रखना भी घर में रहने वाले व्यक्तियों को नकारात्मक शक्तियों से बचाता है। फिर वो चाहे गर्भवती स्त्रियां हों या बच्चे।
  • घर के अंदर या घर के आसपास सूखे हुए पेड़-पौधे रखना अनुकूल नहीं माना जाता। इसके विपरीत हरे-भरे पौधे और सुंदर फूल लगना शुभता देता हैं।
  • गर्भवती स्त्री और बच्चे को बुरी नजर से बचाने के लिए घर में नित्य प्रात: तुलसी जी की पूजा करें।
  • बच्चों और स्त्रियों को बुरे प्रभाव से बचाने के लिए घर मंदिर या कब्रिस्तान का होना सही नहीं माना जाता।
  • घर और कमरों में प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था रखना गर्भवती स्त्रियों और बच्चों दोनों के स्वास्थ्य को अनुकूलता देता है।

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